Friday 13 March 2015

Infertility problum

 बांझपन की समस्या को कैसे करे दूर

           बांझपन एक ऐसी अवस्‍था है जिसमें लगातार बिना किसी गर्भनिरोधक के प्रयोग के बावजूद भी महिला गर्भधारण करने में असफल रहती है। इसके लिए पूरी तरह से महिला ही जिम्‍मेदार नहीं होती है बल्कि कई मामलों में पुरुष भी इसके लिए जिम्‍मेदार हो सकते हैं। लगभग एक तिहाई मामलें महिलाओं की समस्याओं के कारण होते हैं। अन्य एक तिहाई इनफर्टिलिटी मामले पुरुषों के कारण होते हैं। बाकी मामले पुरुष और महिला दोनों की समस्याओं से जुड़े हो सकते हैं। इसके निदान के लिए कुछ जांच आपकी मदद कर सकते हैं।
  • अगर आप गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं तो हार्मोन के स्‍तर की जांच भी करायें। हार्मोन के स्‍तर में असंतुलन होने से ओव्‍यूलेशन और गर्भधारण करने में समस्‍या होती है। प्रोलेक्टिन हार्मोन, एंटी मुलेरियन हार्मोन, एस्‍ट्रोजन हार्मोन की जांच करायें। इसकी जांच के लिए एचसीजी और एक्‍स-रे किया जाता है।
  • सीबीसी यानी कंप्‍लीट ब्‍लड टेस्‍ट के जरिये गर्भधारण न हो पाने की मूल बात सामने आ जाती है। इस जांच में रेड ब्‍लड सेल्‍स, ह्वाइट ब्‍लड सेल्‍स और प्‍लेटलेट्स की जांच की जाती है। इस जांच में रक्‍त से जुड़ी समस्‍याओं जैसे - रक्‍त संक्रमण, एनीमिया आदि की जानकारी हो जाती है। अगर आप रक्‍त संबंधित समस्‍या से ग्रस्‍त हैं तो इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक आपके लिए फायदेमंद है, क्‍योंकि इसमें सर्जरी के जरिये अंडाणु को निषेचित कराया जाता है।
  • ईएसआर यानी एरीथ्रोक्राइट सेडीमेंटेशन जांच के जरिये लाल रक्‍त कणिकाओं की स्थिति का पता लगाते हैं। अगर रेड ब्‍लड सेल्‍स का स्‍तर बढ़ जाये तो इससे सूजन हो जाती है और गर्भधारण करने में महिला असफल रहती है। यह जांच प्रक्रिया एचसीटी (हिस्‍टेरोसालपिनोगोग्राम) से पहले कराया जाता है, एचसीजी बांझपन के निदान के लिए किया जाने वाला टेस्‍ट है।
  • ब्‍लड शुगर भी गर्भधारण न कर पाने के बीच में रोड़ा बन सकता है। इसलिए अगर आप गर्भवती नहीं हो पा रही हैं तो ब्‍लड शुगर और इंसुलिन के स्‍तर की जांच अवश्‍य करायें।
  • इसे सिफलिस टेस्टिंग भी कहते हैं। हालांकि सिफलिस बांझपन के लिए जिम्‍मेदार कारक नहीं है, लेकिन इससे ग्रस्‍त महिला अगर गर्भधारण करती है तो इसका असर मां के साथ बच्‍चे पर भी पड़ता है। इसलिए अगर आप गर्भधारण करने में अक्षम है तो और गर्भावस्‍था की योजना बनाने से पहले ही सिफलिस की जांच करायें।
  • रूबेला एलजीजी जांच आपकी प्रतिरोधक क्षमता की जांच करता है और यह पता लगाता है कि कहीं आप रुबेला वायरस की शिकार तो नहीं हैं। हालांकि यह भी बांझपन के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारणों में नहीं माना जाता है, लेकिन अगर किसी महिला के अंदर यह वायरस है तो इसके दुष्‍प्रभाव गर्भधारण की पहली तिमाही में ही दिख जाते हैं।
  • विटामिन बी3 या फोलेट के स्‍तर की जांच करना बहुत जरूरी है। इस जांच में यह भी पता चल जाता है कि कहीं आप एनीमिया की शिकार तो नहीं हैं। जबकि विटामिन डी3 की कमी और इसका कम स्‍तर होना भी बांझपन का प्रमुख कारण माना जाता है।
  • थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम नहीं कर रही है तो यह गर्भधारण में समस्‍या करती है। थॉयराइड की जांच के लिए टी3, टी4 और टीएसएच जांच की जाती है। इन जांच में पता चल जाता है कि कहीं आपकी थॉयराइड ग्रंथि अधिक सक्रिय तो नहीं है। इस ग्रंथि के ओवरएक्टिव होने पर यह ओव्‍यूलेशन और गर्भधारण के बीच में बाधक बनता है।

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