एक न्यूड होकर पोज देने वाली मॉडल की अंर्तगाथा
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निर्वस्त्र होते लोगों के बारे में काफ़ी कुछ
कहा जा सकता है।
ये पेशेवर मॉडल नहीं हैं और जब अजनबियों के
सामने कपड़े उतारते हैं तो इनकी प्रतिक्रियाएं अलग होती हैं।
पोज़ देने के लिए इनमें से कुछ टॉयलेट से
बिल्कुल नंगे होकर आते हैं और थोड़ी बहुत बातचीत करते हैं तो कुछ कतई आँख नहीं
मिलाते।
मुझे याद है पोज़ देनी वाली एक महिला ने एक-एक
कर अपने कपड़े उतारे और फिर स्टूल पर बैठे हुए पूरे एक घंटे तक हमें आंखे तरेर कर
देखती रही।
मैं परेशान थी कि जब मेरी बारी आएगी तो क्या
होगा?
मैं अपने 40 साल के नंगे शरीर को अजनबियों के
सामने कैसे दिखाऊंगी।
मुझसे ठीक पहले का व्यक्ति कमरे से बाहर जा
चुका था। वह युवा था, दाढ़ी रखे हुए था और उसके
शरीर पर काफी टैटू गुदे हुए थे।
मैंने अपने शरीर पर कुछ पाउडर लगाया और अगले
आधे घंटे तक मेरे शरीर पर सिर्फ़ यही रहने वाला था। फिर मैं उस स्टूडियो में दाखिल
हुई जहां आठ पुरुष और दो महिला चित्रकार बैठे थे। मैंने उन्हें हैलो कहा और शरीर
पर डाली कमीज उतार दी।
मैं चित्रकार माइक पैरी के 'गेट न्यूड, गेट ड्रॉन' का हिस्सा
बन गई थी। दुनिया के अलग-अलग शहरों में वे चित्रकारों को इकट्ठा करते हैं और सोशल
मीडिया के ज़रिए आम लोगों से इन चित्रकारों के लिए पोज़ देने की अपील करते हैं।
पैरी बताते हैं, "हमने इसे 2011 में शुरू किया था। मैं जीवंत
चित्रकारी में लौटना चाहता था, लेकिन मुझमें नियमित रूप से
क्लास लेने का धैर्य नहीं था।"
पैरी कहते हैं, "ईमानदारी से कहूं तो हमें उम्मीद नहीं थी कि कोई आगे आएगा। लेकिन लोगों का
रिस्पॉन्स हैरान करने वाला था। रेखाचित्र भी कमाल के बने थे, मॉडल की तुलना में काफी अच्छे।"
प्रोजेक्ट को अच्छा रिस्पॉन्स मिला और
न्यूयॉर्क, एम्सटर्डम और लंदन में हुए आयोजनों में
नग्न होकर तस्वीर खिंचवाने वालों में एक युगल, नींद नहीं आने
की बीमारी से ग्रस्त दो बच्चों की मां, शरीर पर बालों को
लेकर फोबिया से ग्रस्त एक लड़की भी शामिल थी।
न्यूड पोज़ देने वालों में ऐसे लोग भी थे
जिन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता था, कुछ का कहना था कि वे
इसलिए सहज हैं, क्योंकि उन्होंने ये पहले कभी नहीं किया।
कुछ ऐसे भी थे जो बिल्कुल भी सहज नहीं थे, लेकिन अपने लिए कुछ साबित करना चाहते थे।
ईस्ट लंदन के स्टूडियो में मैं, अनिश्चित और निर्वस्त्र होकर बैठी। मेरे चारों तरफ़ बैठे लोग ए4 के रंगीन कागज़ पर पेन और स्याही से रेखाचित्र बना रहे थे। जब मैं कुछ
विशेष पोज़ बनाती थी तो मैं देख सकती थी कि वे क्या कर रहे हैं। एक रेखाचित्र में
मेरा पेट मेरे स्तनों से बड़ा था।
मैं एक गमले की तरफ टकटकी लगाए हुए थी। मैंने
खुद से कहा कि मैं यह कर सकती हूं।
मैं ख़ुद पिछले 20 साल से चित्रकारी कर रही थी। मैं जानती थी कि जहां मैं खड़ी हूं, वह जगह पवित्र है।
जीवंत चित्रकारी आलोचना से परे है। स्तनों का
लटका हुआ होना, फूला हुआ पेट- यहां ये सब कलाकार के मित्र
हैं। मशहूर चित्रकार लुसियान फ्रायड या जेनी सेविल की पेंटिंग्स में मांस के
गड्ढों के बारे में सोचिए।
मेरी सर्वश्रेष्ठ जीवंत चित्रकारी भी किसी
डांसर के तराशे हुए शरीर की नहीं, बल्कि सामान्य से दिखने
वाले शरीर की थी।
मैंने एक ऐसा पोज बनाया, जिसे मैं काफी रोचक समझती थी क्योंकि इसमें कुछ भी 'प्रदर्शित'
नहीं हो रहा था। मैंने अपनी सांसें रोक दी।
मैंने ध्यान से देखा तो मेरा पेट भिंचा हुआ
था। माइक ने मुझे कुछ निर्देश दिए और मैंने चुपचाप उन्हें मान लिया। मैं उम्मीद कर
रही थी कि मैं ठीक कर रही हूं। एकबारगी मुझे लगा कि एक चित्रकार बोर हो रहा है।
मैंने एक प्रयोग किया। सत्र शुरू हुए अभी छह
मिनट ही बीते थे। मैं खड़ी मुद्रा में सिर को झुकाए थी। मैंने फैसला किया कि मैं
अपने शरीर को साधारण जिज्ञासा से देखूंगी।
मैंने अपने शरीर के आकार की ओर ध्यान दिया-
अपनी त्वचा के विभिन्न रंगों को निहारा। ये काफ़ी रोचक था, इसके अलावा कुछ नहीं। मेरी सांसें कुछ सामान्य हुईं। मैंने नोटिस किया कि
शरीर में संगीत सा बज रहा है।
मैंने अपनी निगाह गमले से हटाई और एक चित्रकार
की ओर देखना शुरू किया और धीरे-धीरे मैं सामान्य होने लगी।
यह अनुभव कामुक नहीं था। मैं अब अपनी तरफ़
कलाकारों का ध्यान महसूस कर सकती थी- उनकी नज़रों को अपने शरीर पर और उनकी कलम को
तेज़ी से चलते हुए महसूस कर सकती थी।
जब सत्र खत्म हुआ और मैंने अपनी कमीज पहनी तो
इसके साथ ही खत्म हुआ पिछले आधे घंटे में टूट चुकी सामाजिक परंपराओं (और यौन तनाव)
का सिलसिला।
लेकिन अगले कुछ हफ्तों तक इसके कुछ असर बाकी
रहा।
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